Monday, 14 July 2014

मनुष्य स्वयं अपने भाग्य का निर्माता है - Hindi Inspirational Story


एक बार एक अध्यापक कक्षा में सभी छात्रों को समझा रहे थे कि इंसान का भाग्य स्वयं इंसान के हाथ में होता है आप जैसे विचार रखोगे या जैसे कर्म करोगे आप वैसे ही बन जाओगे| ये जो प्रकर्ति है ये सभी को समान अवसर देती हैं लेकिन ये आप पर निर्भर है की आप अपने अवसर को कैसे इस्तेमाल करते हैं|


उदाहरण के लिए अध्यापक ने तीन कटोरे लिए और एक में आलू, दूसरे में अंडा और तीसरे में चाय की पत्ती डाल दी| अब तीनों कटोरों में पानी डालकर उनको गैस पर उबलने के लिए रख दिया| छात्र ये सब आश्चर्यपूर्वक देख रहे थे लेकिन उनकी समझ में कुछ नहीं आ रहा था| बीस मिनट बाद जब तीनों बर्तन में उबाल आने लगा तो अध्यापक ने सभी कटोरों को नीचे उतरा और आलू, अंडा और चाय को बाहर निकाला| अब सभी छात्रों से तीनों को गौर से देखने के लिए कहा गया| लेकिन कोई भी छात्र मज़ारे को समझ नहीं पा रहा था|

अंत में गुरु जी ने एक बच्चे से तीनों(आलू, अंडा और चाय) को स्पर्श करने के लिए बोला| जब छात्र ने आलू को हाथ लगाया तो पाया कि जो आलू पहले काफ़ी कठोर था लेकिन पानी में उबलने के बाद काफ़ी मुलायम हो गया है| अब अंडे को उठाया तो देखा जो अंडा पहले बहुत नाज़ुक था अब कठोर हो गया है| अब चाय के कप को उठाया तो देखा चाय की पत्ती ने गर्म पानी के साथ मिलकर अपना रूप बदल लिया था और अब वह चाय बन चुकी थी|

गुरु जी ने समझाया, हमने तीन अलग अलग चीज़ों को समान विपत्ति से गुज़रा अर्थात तीनों को समान रूप से पानी में उबाला लेकिन बाहर आने पर तीनों चीज़ें एक जैसी नहीं मिली| आलू जो कठोर था वो मुलायम हो गया, अंडा पहले से कठोर हो गया और चाय की पत्ती ने भी अपना रूप बदल लिया उसी तरह यही बात इंसानों पर भी लागू होती है| एक इंसान विपत्ति में अपना धैर्य खो देता है और वहीं दूसरा बुद्धिमान इंसान विपत्ति का सामना कटे हुए अपने लक्ष्य को साकार करता है| तो मित्रों, भगवान सभी को समान अवसर और विपत्ति प्रदान करते हैं लेकिन ये पूरी तरह आप पर निर्भर है की आप कैसा बनाना चाहते हैं और किस तरह आप अपने जीवन को ढालते हैं|